अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने एच-1 वीजा के नियमों में ढील दी है। जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों के लिए विशेष कौशल वाले विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करना आसान हो जाएगा और एफ.1 छात्र वीजा को आसानी से एच.1बी वीजा में तब्दील किया जा सकेगा। यह नियम बाइडेन के पिछले प्रयासों पर आधारित है। प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी व्यवसायों की श्रम संबंधी ज़रूरतें पूरी हों। साथ ही अमेरिका कर्मचारी सुरक्षा के नियमों का पालन करते हुए नियोक्ताओं पर अनुचित बोझ को कम किया जा सके।
मंगलवार को होमलैंड सुरक्षा विभाग डीएचएस द्वारा घोषित इस नियम का उद्देश्य विशेष पदों और गैर लाभकारी व सरकारी अनुसंधान संगठनों के लिए परिभाषा और मानदंडों को आधुनिक बनाकर नियोक्ताओं तथा श्रमिकों को अधिक सुविधा प्रदान करना है।
जानकारो की माने तो इस कदम से हजारों भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवरों को फायदा होने की संभावना है। सबसे अधिक मांग वाला एच.1बी वीजा एक गैर.आप्रवासी वीजा है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को ऐसे विशेष व्यवसायों में विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति मिलती है। जिनमें व्यावसायिक या प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर रहती हैं।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन बदलावों से अमेरिकी नियोक्ताओं को अपनी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार नियुक्तियां करने और वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलेगी। डीएचएस के अनुसार इस नियम में एफ.1 वीजा धारक छात्रों के लिए कुछ सुविधा का भी प्रावधान है, जो अपने वीजा को एच.1बी में बदलना चाहते हैं।
जो बाइडेन के इस फैसले से अधिक से अधिक भारतीयों को अमेरिका में नौकरी पाना और वहां रहना आसान हो जाएगा। विज्ञप्ति में कहा गया है की वीजा नियम अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके नियोक्ताओं को प्रतिभाशाली श्रमिकों को बनाए रखने की अनुमति देता है। यह एच1.बी कार्यक्रम की अखंडता और निगरानी में सुधार करके उसको आधुनिक बनाता है।