नई दिल्ली। आखिर वही हुआ जिसकी सोनिया गांधी को आशंका थी, भले ही कांग्रेस पार्टी को उम्मीद थी। प्रियंका गांधी वाड्रा ने अब राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रख लिया है। यह वही प्रियंका हैं, जिन्हें सोनिया गांधी ने लंबे वक्त तक पर्दे के पीछे रखा था। प्रियंका और राहुल गांधी के लोकसभा में भूमिका का फर्क अब साफ नजर आने लगा है। जहां राहुल गांधी पिछले दो दशकों से प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब पाले हुए थे, वहीं प्रियंका ने अपनी चुप्पी तोड़ी और साबित कर दिया कि वह राजनीति में राहुल से कहीं ज्यादा प्रभावशाली हैं।
प्रियंका की राजनीति में एंट्री: चुनौती और संभावनाएं
प्रियंका गांधी का राजनीति में आना सोनिया गांधी के लिए बड़ा बदलाव लेकर आया है। वर्षो तक सोनिया ने बेटी प्रियंका को राजनीति से दूर रखा, जबकि राहुल गांधी को पार्टी का चेहरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रियंका की राजनीति में एंट्री के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह कांग्रेस का नेतृत्व संभालेंगी? हालांकि, सियासत में प्रियंका को अभी कई चैलेंजेस का सामना करना होगा। उन्हें कई पापड़ बेलने होंगे और राजनीति की जटिलताओं को समझना होगा।
प्रियंका की गलती: मोदी और सुक्खू पर हमला
प्रियंका वाड्रा ने हाल ही में मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी लपेट लिया। उन्होंने कहा कि हिमाचल के सेव उत्पादक भी अन्याय का सामना कर रहे हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुक्खू के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। इस तरह की गलतियों से प्रियंका को बचने की जरूरत है, क्योंकि राजनीति में बयानों का सही मायने में असर पड़ता है।
सोनिया गांधी का पुत्रमोह और प्रियंका का दबाव
सांसद प्रियंका गांधी को राजनीति से दूर रखने की एक बड़ी वजह सोनिया गांधी का पुत्रमोह था। सोनिया चाहती थीं कि राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालें, जबकि प्रियंका को लचर स्टेप्नी जैसी भूमिका में रखा गया। हालांकि, अब प्रियंका ने दिखा दिया कि वह राजनीति में किसी से कम नहीं हैं। यहां तक कि राहुल गांधी भी मानते हैं कि उनकी बहन उनसे कहीं बेहतर बोलती हैं।
क्या राहुल गांधी करेंगे बदलाव ?
प्रियंका वाड्रा की राजनीति में एंट्री के बाद यह सवाल उठता है कि राहुल गांधी अब क्या करेंगे? क्या वह अपनी राष्ट्रव्यापी लोकप्रियता बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे या फिर पार्टी नेतृत्व में बदलाव के बारे में विचार करेंगे? कांग्रेस के भीतर यह चर्चा है कि प्रियंका की लोकप्रियता अब राहुल गांधी से कहीं अधिक हो सकती है।
नेहरू परिवार में प्रधानमंत्री का सवाल
प्रियंका की राजनीति में एंट्री के साथ ही एक और बड़ा सवाल उठता है कि क्या नेहरू-गांधी परिवार से एक और प्रधानमंत्री आएगा? सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में आ रही कानूनी और राजनीतिक अड़चनों के बावजूद, यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। क्या प्रियंका कांग्रेस की अगली प्रधानमंत्री उम्मीदवार बन सकती हैं? इतिहास में एक उदाहरण है जब इंदौर के महाराजा यशवंतराव होलकर की विदेशी पत्नी के पुत्र रिचर्ड को उत्तराधिकारी बनाने से इनकार कर दिया गया था, क्योंकि उन्हें भारतीय शासक मानने में परेशानी थी। यही सवाल अब राहुल गांधी और प्रियंका पर भी उठ सकता है, जो विदेशी मूल के हैं।
कांग्रेस का भविष्य
प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीति में आने से कांग्रेस पार्टी में नए बदलाव की संभावना बन रही है। उनका प्रभाव और नेतृत्व क्षमता, अगर सही दिशा में प्रयोग की जाए, तो पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है। अब देखना यह होगा कि सोनिया गांधी की भूमिका, राहुल गांधी की दिशा और प्रियंका गांधी का नेतृत्व किस प्रकार कांग्रेस के भविष्य को आकार देते हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव