लखनऊ। हृदय रोग से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भावस्था एक गंभीर खतरा बन सकती है। यह न केवल भ्रूण के लिए हानिकारक है, बल्कि मातृ मृत्यु का प्रमुख कारण भी बन सकती है। कुछ हृदय रोगों में गर्भधारण को पूरी तरह से वर्जित माना जाता है।
हालांकि, हृदय रोग से पीड़ित कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के उन्नत चरण में चिकित्सकीय मदद के लिए अस्पताल पहुंचती हैं। इस दौरान हृदय रोग और गर्भावस्था का समुचित प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन जाती है।
मरीज की जटिल स्थिति
ताजा मामला लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी से 28 वर्षीय महिला जो 6 महीने की गर्भवती थी। सांस की तकलीफ के साथ स्त्री एवं प्रसूति विभाग में आई। जिसके बाद उसे कार्डियोलॉजी विभाग में रेफर किया गया। जहां पाया गया कि उसके हृदय के माइट्रल वाल्व में गंभीर संकुचन (माइट्रल स्टेनोसिस) है। स्थिति अत्यंत गंभीर थी और समय पर इलाज न मिलने पर उसकी मृत्यु की संभावना बहुत अधिक थी।
गर्भावस्था और हृदय रोग का जोखिम
गर्भावस्था अपने आप में हृदय पर अतिरिक्त बोझ डालती है। इस महिला को न केवल गंभीर हृदय रोग था, बल्कि उसकी स्थिति में खून की कमी, हेपेटाइटिस सी संक्रमण, और जुड़वां भ्रूण होने से समस्या और बढ़ गई थी।
जीवन रक्षक ऑपरेशन सफल
महिला को बैलून माइट्रल वाल्वोटॉमी की आवश्यकता थी। इस उच्च जोखिम ऑपरेशन के दौरान तीन जिंदगियों को बचाने के लिए विशेषज्ञों ने जोखिम उठाया। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ. ऋषि सेठी के मार्गदर्शन में डॉ. प्रवेश विश्वकर्मा ने यह ऑपरेशन किया।
इस कठिन प्रक्रिया में डॉ. मोनिका भंडारी, डॉ. प्राची शर्मा, डॉ. गौरव चौधरी, डॉ. अखिल शर्मा और डॉ. उमेश त्रिपाठी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑपरेशन सफल रहा और महिला को राहत मिली। अब माँ और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं।
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सरकार की मदद से हुआ इलाज
महिला अत्यंत गरीब थी और उसके पास उपचार के लिए पैसे नहीं थे। यह ऑपरेशन राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित विपन्ना योजना के तहत किया गया।
राज्य सरकार की सराहना
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने इस सफलता पर पूरी टीम को बधाई दी और राज्य सरकार के समर्थन की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस सफल ऑपरेशन ने तीन जीवन बचाए हैं।
नई पहल: कार्डियो-प्रसूति देखभाल कार्यक्रम
हृदय रोग से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए ICMR के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय गर्भावस्था और हृदय रोग अध्ययन कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम कई मातृ और भ्रूण जीवन को बचाने में मदद करेगा।