नाग पंचमी महत्व पूजाविधि

Nag Panchami 2024 :- नाग पंचमी का पावन पर्व कल, जानिए महत्व और पूजाविधि…

Nag Panchami 2024 :- स्कन्द पुराण के अनुसार नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पुराणों में यक्ष, किन्नर और गन्धर्वों के वर्णन के साथ-साथ नागों का भी वर्णन मिलता है।

नाग पंचमी 2024 :- शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागों की पूजा का विधान है। हिंदी पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी तिथि की शुरुआत 08 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद यानी 09 अगस्त को सुबह 12 बजकर 37 मिनट शुरू हो जाएगी। फिर इस तिथि का समापन 10 अगस्त को सुबह 3 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार नाग पंचमी का पर्व 09 अगस्त को मनाया जाएगा।

स्कन्द पुराण के अनुसार नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पुराणों में यक्ष, किन्नर और गन्धर्वों के वर्णन के साथ-साथ नागों का भी वर्णन मिलता है। भगवान विष्णु की शय्या की शोभा नागराज शेष बढ़ाते हैं। भगवान शिव के अलंकरण में वासुकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। योगसिद्धि के लिए जो कुण्डलिनी शक्ति जागृत की जाती हैए उसको सर्पिणी कहा जाता है।

पुराणों में भगवान सूर्य के रथ में द्वादश नागों का उल्लेख मिलता है, जो क्रमश: प्रत्येक मास में उनके रथ के वाहक बनते हैं। इस प्रकार अन्य देवताओं ने भी नागों को धारण किया है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार नाग पंचमी पर की जाने वाली पूजा से राहु-केतु के बुरे प्रभाव और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी का पर्व विशेष रूप से पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। इसे लेकर मान्यता है कि नागों की पूजा से विषैले सर्पों से बचाव होता है और जीवन में उन्नति और समृद्धि आती है। भविष्य पुराण के अनुसार पंचमी तिथि नागों को अत्यंत प्रिय है और उन्हें आनंद देने वाली है। पंचमी तिथि को जो व्यक्ति नागों को दूध से स्नान कराता है, उसके कुल में वासुकि, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट, कर्कोटक तथा धनञ्जय ये सभी बड़े-बड़े नाग अभय दान देते हैं और उसके कुल में सर्प का भय नहीं रहता। मान्यता है कि यदि सुबह-शाम भागवत स्मरण के साथ अनन्त और वासुकि आदि पवित्र नागों का नामस्मरण भी किया जाता है, तो सर्वत्र विजय होती है।

पूजा विधि :-

इस दिन, श्रद्धालु प्रात:काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और द्वार के दोनों तरफ गोबर के नाग बनाएं। यदि ये संभव नहीं तो पूजा स्थल में एक सर्प की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। दही, दूध, दूर्वा, पुष्प, कुश, गंध, अक्षत और अनेक प्रकार के नैवेद्यों से नागों का पूजन करें। अब नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें। इसके बाद नाग देवता से घर में सुख-शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करें और ब्राह्मणों को भोजन कराए। ऐसा करने से पूजन करने वाले के कुल में कभी सर्पों का भय नहीं रहता है। जहां “ॐ कुरुकुल्ले फट स्वाहा” – यह मंत्र पढ़ा जाता है, वहां कोई सर्प नहीं आ सकता। इस दिन नाग देवता की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन रुद्राभिषेक कराने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है ।

नाग पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त :- Nag Panchami 2024 Puja Shubh Muhurat)

नाग पंचमी पर पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त – सुबह 05:47 मिनट से लेकर 08:27 मिनट तक।
नाग पंचमी पर दोपहर का शुभ मुहूर्त – दोपहर 12:13 मिनट से लेकर 1:00 बजे तक का।
नाग पंचमी पर प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 06:33 मिनट से रात को 08:20 मिनट तक।

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