पितृपक्ष मेला
इतिहास और संस्कृति ने हमेशा हमारे जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उसमें पितृपक्ष की महता सबसे अधिक है। यह एक हिंदू परंपरा है जहां हर साल पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती हैं। पितृ पक्ष में पूर्णिमा श्राद्ध, महा भरणी श्राद्ध और सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है।
पितृ पक्ष दिवंगत आत्माओं को समर्पित है और उन्हें प्रसन्न करने, क्षमा मांगने और पितृ दोष (पूर्वजों का श्राप) से छुटकारा पाने के लिए है। इस अवधि के दौरान जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र से दिवंगत आत्मा को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। इस तरह के अनुष्ठान फाल्गु नदी में किए जाते हैं और उसके बाद विष्णुपद मंदिर, गया में विशेष प्रार्थना की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान मांसाहारी भोजन का सेवन सख्त वर्जित है। प्याज, लहसुन, चना, जीरा, काला नमक, काली सरसों, खीरा, बैगन और मसूर की दाल, काली उड़द की दाल जैसी सामग्री का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष की ख्याति वैश्विक पैमाने पर देखी जा सकती है।
पितृ पक्ष का बहुत महत्व :-
पितृ पक्ष में पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट किया जाता है।
पितृ पक्ष के दौरान किए गए तर्पण, श्राद्ध, और पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष में किए गए इन कार्यों से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पितृ पक्ष में किए गए इन कार्यों से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पितृ पक्ष के दौरान पितर धरती पर आते हैं, इसलिए उनका तर्पण और श्राद्ध करने से उनका आशीर्वाद मिलता है। पितृ पक्ष में किए गए इन कार्यों से घर में पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति का संचार होता है। पितृ पक्ष को ‘सोलह श्राद्ध’, ‘महालय पक्ष’, ‘अपर पक्ष’ जैसे नामों से भी जाना जाता
आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष मेला महासंगम में जुटी राज्य सरकार व राजकीय कर्मचारी की तैयारी….
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद माह की पूर्णिमा से हो जाती है और इसकी समाप्ति आश्विन माह की अमावस्या तिथि को होता है। इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर 2024 से हो रही है जिसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को होगा। होटलों की बुकिंग शुरू हो चुकी है।
गया का पितृ पक्ष आयोजन 17 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है। पितृ पक्ष मेला से जुड़ी तैयारियों को लेकर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बुधवार को अधिकारियों के साथ समीक्षा की। इस बार मेले में खास और अलग तरह का इंतजाम होगा। यह मेला 2 अक्टूबर तक चलेगा।
पितृपक्ष आयोजन को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। इस बार तीर्थ यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इस बार भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। इसे लेकर जिलाधिकारी की ओर से मेला क्षेत्र का निरीक्षण किया गया। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने भी इसको लेकर बैठक की थी।
बिहार के गया में 17 सितंबर से पितृपक्ष मेले की शुरुआत हो जाएगी। इसके मध्यनजर जिला प्रशासन की ओर तैयारियां काफी तेजी से चल रही हैं। पितृपक्ष के दौरान लाखों लोग गया आते हैं, जो अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए तर्पण करते हैं। इस साल इस मेले में भीड़ प्रबंधन को लेकर पुख्ता तैयारी की जा रही है। भीड़ प्रबंधन को लेकर पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जा रहे हैं। दरअसल, सभी नदियों, तालाब में जलस्तर बढ़ा हुआ है। पितृपक्ष में विभिन्न सरोवरों, नदियों में तर्पण किया जाता है। ऐसे में पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
डीएम ने किया निरीक्षण
इधर, गया के जिला पदाधिकारी त्यागराजन एसएम ने मेला क्षेत्र के विभिन्न स्थलों, विभिन्न पार्किंग स्थलों, विभिन्न सड़कों पर घूम-घूमकर व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष विष्णु पथ पर यात्रियों की सुविधा को देखते हुए नये पाथवे का निर्माण तेजी से करवाया जा रहा है। इस पितृपक्ष मेले में इस नए एप्रोच पथ का उद्घाटन भी किया जाएगा। इस एप्रोच पथ पर जल संसाधन विभाग द्वारा पर्याप्त लाइट भी लगाई जा रही हैं। मेले के पश्चात इन लाइटों का रखरखाव नगर निगम द्वारा किया जाएगा।
रोशनी की व्यवस्था
पितृपक्ष मेला क्षेत्र में रोशनी की व्यवस्था के लिए ईईएसएल 3,584 स्ट्रीट लाइटें तथा निगम द्वारा 435 स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। पितृपक्ष मेला क्षेत्र में कुल 17 हाई मास्ट लाइट तथा 34 मिनी हाई मास्ट लाइट हैं जिनमें सर्वे के उपरांत पांच हाई मास्ट लाइट तथा 15 मिनी हाई मास्ट लाइट खराब पाई गईं जिनकी मरम्मति की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा सीता कुंड द्वार से सीता पथ तक एवं चंद चौराहा से विष्णुपद मंदिर तक सजावटी लाइट से पूरे मेला क्षेत्र में एक आकर्षक स्वरूप दिया जाएगा। इस वर्ष मेला क्षेत्र के विभिन्न बिजली पोल पर रोप लाइट लगाए जाएंगे।
डीएम ने दिया निर्देश
निरीक्षण के दौरान जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि रेलवे स्टेशन से मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को पूरी सुविधा मिले। जिला पदाधिकारी ने नगर आयुक्त गया नगर निगम को निर्देश दिया कि मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखें। मेला क्षेत्र में पड़े विभिन्न स्थानों के कचरे की रातों-रात सफाई कराएं। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 17 सितंबर से पितृपक्ष मेले का आगाज होगा। पितृपक्ष मेले के दौरान देश ही नहीं विदेश से लाखों तीर्थ यात्रा ‘गया जी’ आकर पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंडदान करते हैं। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इसमें पितरों का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि पितृ प्रसन्न होने पर जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। पितृपक्ष की वजह से ही गया बिहार का एकमात्र ऐसा शहर है जिसे लोग ‘गया जी’ कहते हैं। बाहर के श्रद्धालु भी ‘गया जी’ संबोधित करते हैं। विश्व प्रसिद्ध इस मेले को 2015 में राजकीय मेले का दर्जा मिला था। अब इस मेले को अंतर्राष्ट्रीय मेला का दर्जे की मांग उठने लगी है।
पितृपक्ष मेला में कैंप लगाने के लिए 19 संगठनों को मिली अनुमति
इन संगठनों को मिली अनुमति
सदर अनुमंडल कार्यालय सूत्रों के अनुसार, पितृपक्ष मेला महासंग्राम 2024 में अब तक नरौलिया अग्रवाल सेवा संघ, रवि होटल, महाराणा विचार मंच, गायत्री परिवार ट्रस्ट, माहुरी सेवा संस्थान, दांगी चिकित्सा संघ, अर्श सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, आइइएच मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल सह आदर्श बुद्ध वेलफेयर सोसाइटी, बिहार कुम्हार (प्रजापति) समन्वयक समितिए जीडी पब्लिक स्कूल, राष्ट्रीय ब्रह्मर्षि सेवा अभियान, जनता दल यू डॉक्टर शंकर कुमार चौधरी, डॉ वीरेंद्र कुमार, तीर्थवृति सुधारिणी सभा, प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, नेशनल ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद सह बजरंग दल समेत 19 सामाजिक संगठनों को इच्छानुसार मेला क्षेत्रों में अलग-अलग जगहों पर सेवा व सहायता शिविर लगाने की अनुमति सदर अनुमंडल पदाधिकारी ने दी है।
इन शर्तों के साथ दी गयी अनुमति
पितृपक्ष मेले में तीर्थयात्रियों के लिए सहायता सेवा व सहायता शिविर लगाने के लिए सदर अनुमंडल कार्यालय ने अनुमति पत्र के साथ नियम व शर्तों के साथ अनुमति प्रदान की है। सदर अनुमंडल कार्यालय सूत्रों के अनुसार, सेवा व सहायता शिविर लगाने वाले सामाजिक संगठनों को निर्देशित किया गया है कि शिविर के दौरान लोगों व यातायात में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होए टेंट का अधिकतम साइज नौ गुणा नौ फुट रहेगा, मान्यता प्राप्त डिग्री धारक द्वारा चिकित्सा शिविर का संचालन करना होगाए शिविर में किसी भी व्यक्ति द्वारा आग्नेयास्त्र या अन्य घातक अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन नहीं करना है।
मादक पदार्थ का सेवन करने वाले शिविर में शामिल नहीं होंगे
मादक पदार्थ का सेवन करने वाले शिविर में शामिल नहीं होंगे, उत्तेजक अथवा मनमुटाव भड़काने वाला अथवा किसी भी धर्म, जाति व समुदाय से संबंधित भाषण शिविर में नहीं करना होगा, ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग रात 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच वर्जित रहेगा, रेलवे स्टेशन परिसर में लगने वाले शिविर से जुड़े कार्यकर्ताओं को रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के आवागमन की सूचना के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग नहीं करना होगा, शिविर व आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता पर ध्यान रखना होगा, निजी जमीन पर शिविर लगाने से पहले संबंधित भू स्वामी की अनुमति लेना अनिवार्य होगा शामिल है।
बिहार से संपादक रूद्र सिंह