ग्रामीण परिवेश में जन्मे जुनूनी दिल के एक मेधावी छात्र आकाश भारद्वाज पुत्र श्री साधु शरण पाठक निवासी पकरीजप्ती, पोस्ट – चोर खरी,जिला बस्ती, उत्तर प्रदेश जिन्होंने अपने परिवार का ही नहीं जिले का भी नाम रोशन किया है, जानते हैं उनकी इस यात्रा की कहानी उन्हीं की जुबानी…!
आकाश भारद्वाज:-
मैंने प्रारंभिक इंटरमीडिएट तक स्कूल की शिक्षा जी.एस.ए.एस अकादमी हरैया से ली है।12वीं पास होने के बाद जब मैंने बी. ए करने का निर्णय लिया तो लोगों को काफी आश्चर्य हुआ कि इस आधुनिक समाज में बी.ए कौन करता है, लेकिन मैंने लोगों की एक नहीं सुनी और अपने आप पर भरोसा रखा। कुछ बहुत बड़ी संघर्ष की झलक वाली कहानी नहीं है मेरे पास, आप सभी जानते हैं की विद्यार्थी जीवन में जो समस्या आती है वो किसी के लिए नई नहीं है।
लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए करने के बाद मैं बीएड करने की सोच रहा था परन्तु अच्छी गाइड लाइन मिल जाने के कारण मैंने उच्च शिक्षा की तरफ चलने का फैसला किया। एम.ए करने के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ा जो कि संभव था । जिस दिन नेट का पेपर प्रकाशित हुआ उस दिन भी मेरे गांव के कुछ लोगों ने मुझसे कहा ही दिया के बेटे इसे करके क्या कर लोगे, आज कल कुछ नहीं होना है, जो लोग ये सब करते हैं उनसे कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। अब पीएचडी में एडमिशन लेना है।उसके बाद प्रोफेसर बनने का अपना सपना साकार करना है।
हां परीक्षा के दौरान जिन लोगों ने बहुत मदद की है उसमें मेरे पूरे परिवार का विशेष योगदान था।मेरे पिता जी ने मेरा मनोबल बढ़ाया और मेरे चाचा एडवोकेट अच्युतानन्द पाठक के मार्गदर्शन और पूरे परिवार के सहयोग और आशीर्वाद से मैंने यहां तक का सफर तय किया।इस यात्रा में सूरज कुमार शुक्ल का बहुत योगदान रहा जिसे भुलाया नहीं जा सकता उन्हें मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।