सीतापुर। सीतापुर जिले के एक चर्चित मामले में 10 वर्षीय मासूम समीर उर्फ मुलायम की मौत के बाद सीएचसी अधीक्षक अरविंद बाजपेई की कथित लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। समीर की मौत इलाज के दौरान स्थानीय लाइफ केयर क्लिनिक में हुई थी, जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। हालांकि, सीएचसी अधीक्षक अरविंद बाजपेई की खाऊ कमाऊ नीति के कारण पीड़ित को कोई न्याय नहीं मिल रहा था।
परिजनों ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई जिसके बाद जिले के अधिकारियों ने जांच शुरू की। नोडल अधिकारी मनोज देशमड़ी ने लाइफ केयर क्लिनिक पहुंचकर वहां के रजिस्टर और इलाज के संबंधित दस्तावेजों की मांग की, लेकिन डॉक्टर नजमुद्दीन द्वारा कोई भी संबंधित दस्तावेज पेश नहीं किया गया। इसके अलावा, नजमुद्दीन ने यह भी खुलासा किया कि बच्चों के इलाज का पर्चा सीएचसी अधीक्षक के पास था।
जब नोडल अधिकारी ने अस्पताल के संचालन को लेकर सवाल पूछा, तो नजमुद्दीन ने बताया कि सीएचसी अधीक्षक ने अस्पताल की चाबी उसे सौंपकर फिर से अस्पताल खोलने का आदेश दिया था। और यह भी कहा था कि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद जब नोडल अधिकारी ने अस्पताल और उसके आसपास के मेडिकल कचरे के बारे में पूछा तो नजमुद्दीन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
नोडल अधिकारी ने मामले की गहराई से जांच करने का आश्वासन दिया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की मांग की है। यह मामला अब सीएचसी अधीक्षक अरविंद बाजपेई के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की ओर बढ़ता दिख रहा है। और उनकी मनमानी पर सवाल उठने लगे हैं।