पैरों की थाप, घुंघरू की झंकार से बनाई अलग पहचान

बस्ती।कप्तानगंज के पास एक छोटे से गांव करनपुर की विन्ध्यवासिनी तिवारी जब तीन साल की थी तभी से कथक नृत्य

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