मनकामेश्वर मंदिर में अब पॉलिथिन में दूध चढ़ाना हुआ प्रतिबंधित: सावन में सबसे अधिक श्रद्धालु जुटने वाले प्रयागराज के इस प्रसिद्ध मंदिर ने लिया अहम फैसला

11 जुलाई से पावन सावन माह की शुरुआत हो रही है। इस अवसर पर प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसे देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने फैसला लिया है कि श्रद्धालु अब पैकेट या पॉलिथिन में दूध लाकर शिवलिंग पर नहीं चढ़ा सकेंगे।
श्री मनकामेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि इस व्यवस्था की शुरूआत की जा रही है। अमूमन देखा जाता है कि श्रद्धालु पैकेट का दूध खरीदकर लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। शास्त्रों में भी शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए सोने, चांदी, पीतल या तांबे के पात्र का प्रयाेग किए जाने का जिक्र है।
सावन में मनकामेश्वर मंदिर में लगती है 2 किमी. लंबी कतार।
धोती पहनकर करना होगा अभिषेक
प्रयागराज के यमुना नदी के तट पर स्थित प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के कपड़े को लेकर भी अब नई व्यवस्था शुरू होने जा रही है। यहां अभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं को पैंट या जींस नहीं बल्कि धोती पहनना होगा। जबकि महिलाओं को साड़ी में अभिषेक करना होगा। यह नई व्यवस्था सावन महीने के पहले से दिन ही लागू होगी।
श्री मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने बताया, यह नया नियम 11 जुलाई से लागू होने जा रहा है। पुरुष श्रद्धालु धोती के साथ शर्ट या कुर्ता पहन सकते हैं। महिलाओं को साड़ी या सूट सलवार में अभिषेक करना अनिवार्य होगा। सावन मास के बाद भी यही नियम हमेशा के लिए लागू रहेगा। इसी तरह पिछले साल ही मनकामेश्वर मंदिर में आदेश जारी किया गया था यहां आने वाले श्रद्धालु कटे फटे जींस आदि पहनकर नहीं आ सकते हैं।
मंदिर के महंत श्रीधरानंद महराज।
जिनके पास धोती नहीं उन्हें मंदिर से मिलेगा
महंत श्रीधरानंद बताते हैं कि श्रद्धालुओं को धोती साथ लेकर आना होगा। यदि उनके पास धोती नहीं है या धोती नहीं लाते हैं तो मंदिर में ही उन्हें धोती उपलब्ध कराई जाएगी। इसे पहनकर ही श्रद्धालु को अभिषेक करना होगा। अभिषेक पूर्ण होने के बाद धोती मंदिर प्रशासन को लौटाना होगा।
महंत बताते हैं कि आराध्य की स्तुति में वस्त्र का विशेष महत्व होता है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो भी मन करे वह पहनकर पूजन कर लिया। दरअसल, धोती पवित्र होती है उसे पहनकर पूजा या अभिषेक करने से आराध्य के प्रति सम्मान और भक्ति के प्रति भाव प्रकट होता है।