ईरान ने नोबेल विजेता नरगिस मोहम्मदी को दी जान से मारने की धमकी, जानें क्या है इसके पीछे का कारण

नरगिस मोहम्मदी ने पिछले एक दशक का अधिकांश समय जेल में बिताया है, जिन्हें पिछले साल 2024 के दिसंबर महीने में मेडिकल लीव पर कुछ समय के लिए तेहरान के एविन जेल से रिहा किया गया था. हालांकि, उनकी लीगल टीम ने उन्हें बार-बार यह चेतावनी दी है कि उन्हें किसी भी समय फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है.
नोबेल कमेटी के अध्यक्ष ने जारी किया बयान
नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के अध्यक्ष जोर्गेन वात्ने फ्राइडनेस ने अपने एक बयान में कहा कि उन्हें नरगिस मोहम्मदी का एक अर्जेंट फोन कॉल आया था. 53 साल की मोहम्मदी ने फ्राइडनेस से फोन पर कहा कि अब उनकी जान को खतरा है. उन्होंने कहा, “यह उनके अपने शब्दों में बताया गया एक साफ संदेश है कि मुझे ईरानी शासन के एजेंटों की ओर से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जान से मारने की धमकियां दी गई हैं.”
कमेटी के अध्यक्ष ने अपने बयान में आगे कहा, “नरगिस मोहम्मदी को दी गई धमकियों ने यह इस बात को साफ कर दिया है कि जब तक वह ईरान के भीतर अपनी सभी सार्वजनिक गतिविधियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र, मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन में के साथ-साथ मीडिया में अपनी उपस्थिति को पूरी तरह खत्म नहीं कर देती हैं, तब तक उनकी सुरक्षा खतरे में रहेगी.”
नोबेल कमेटी ने कहा, “हम नरगिस मोहम्मदी और सभी ईरानी नागरिकों को दी गई धमकियों को लेकर बेहद परेशान हैं, जिन्होंने ईरान के शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है.” कमेटी ने ईरानी अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे न सिर्फ इन लोगों के जिंदगी की सुरक्षा सुनिश्चित करें, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की आजादी की भी रक्षा करें.
जेल में बंदी रहने के दौरान नरगिस को मिला था नोबेल पुरस्कार
नरगिस मोहम्मदी ने ईरान में व्यापक रूप से दी जाने वाली मौत की सजा और महिलाओं के लिए अनिवार्य ड्रेस कोड के खिलाफ मुखर होकर अभियान चलाने के लिए कई बार मुकदमों का सामना किया है. इसके साथ ही उन्हें इसके लिए कई बार जेल में डाला गया है. वहीं, उन्हें मुख्य रूप से ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न खिलाफ आवाज उठाने के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. जब उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया, तब वह ईरान की जेल में बंद थी, ऐसे में उनके बच्चों ने उनकी तरफ से इस सम्मान को प्राप्त किया था.