Afghans expelled from Iran: ईरान ने दो हफ्तों में 5 लाख से अधिक अफगानी नागरिकों को देश से क्यों निकाला? सामने आई हैरान करने वाली वजह

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संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी IOM (International Organization for Migration) के अनुसार, 24 जून से 9 जुलाई के बीच 508,426 अफगान नागरिकों ने ईरान-अफगानिस्तान सीमा पार की. इनमें अधिकतर बिना दस्तावेजों वाले मजदूर थे जो वर्षों से ईरान में रह रहे थे. यह कदम मार्च 2025 में घोषित ईरानी निर्वासन नीति के तहत उठाया गया.

इजरायल के साथ संघर्ष के बाद ईरान ने तेज किया निर्वासन अभियान
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब ईरान का इजरायल के साथ 12 दिनों तक चला संघर्ष हाल ही में समाप्त हुआ है. स्थानीय सरकारी मीडिया ने दावा किया है कि कुछ अफगान नागरिकों ने इजरायल के लिए जासूसी की थी. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और विशेषज्ञों ने इस अभियान को लेकर गहरी चिंता जताई है. आलोचकों का कहना है कि यह एक तरह की सामूहिक सजा, दुर्व्यवहार और राजनीतिक फायदे के लिए कमजोर आबादी को बलि का बकरा बनाने जैसा है.

बॉर्डर पर भीड़ और बेसहारा बच्चे
इस्लाम क़ला बॉर्डर क्रॉसिंग (पश्चिमी अफगानिस्तान) से आए वीडियो में हजारों लौटते अफगानों की भीड़ देखी गई. राहत केंद्रों की क्षमता पूरी तरह भर चुकी है और कई बिना अभिभावकों के बच्चे भी पहुंचे हैं. IOM की मिशन प्रमुख मिहयोंग पार्क ने CNN से कहा, ‘हजारों लोग धूप में खड़े हैं, और हेरात की गर्मी बहुत तीव्र होती है. पिछले हफ्ते हमारे पास करीब 400 ऐसे बच्चे आए जो अकेले या अपने परिवार से बिछड़े हुए थे. यह बहुत बड़ी संख्या है.’ उन्होंने बताया कि जुलाई के पहले हफ्ते में ही 2.5 लाख अफगान नागरिकों को निर्वासित किया गया, जो 2025 का सबसे बड़ा साप्ताहिक आंकड़ा है.

हिरासत में मारपीट और अमानवीय व्यवहार की शिकायतें
एक युवा अफगान युवक बशीर ने बताया कि उसे तेहरान में ईरानी पुलिस ने गिरफ्तार किया. बकौल बशीर ‘मुझे दो दिन तक हिरासत में रखा गया. पहले उन्होंने मुझसे 1 करोड़ तोमान (करीब 200 डॉलर) वसूले. फिर डिटेंशन सेंटर में 50 डॉलर और देने को कहा गया. वहां करीब 200 लोग थे. हमें मारते और गाली देते थे. खाना-पानी तक नहीं दिया गया.’

11 साल की परिज़ा की आपबीती
11 साल की एक अफगान बच्ची परिज़ा ने बताया कि ‘हमने 6 साल ईरान में बिताए और कानूनी दस्तावेज भी थे. फिर भी हमें स्कूल से निकाला गया और देश छोड़ने को कहा गया. उन्होंने हमें कहा कि एग्जिट लेटर बनवाकर वापस चले जाओ.’

जासूसी का आरोप या श्रमिकों की सफाई?
ईरानी मीडिया का दावा है कि अफगान प्रवासियों ने इजरायल के लिए जासूसी की, लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये बिना सबूत के आरोप हैं, और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा रहे मजदूरों को निशाना बनाया जा रहा है.

UN प्रतिनिधि रिचर्ड बेनेट की तीखी आलोचना
संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड बेनेट ने X पर लिखा, ‘सैकड़ों अफगानों और धार्मिक-जातीय अल्पसंख्यकों को ईरान में हिरासत में लिया गया है. मीडिया में उन्हें देशद्रोही बताया जा रहा है और उनके खिलाफ नफरत भरी, अमानवीय भाषा का इस्तेमाल हो रहा है.’

ईरान सरकार का बचाव
ईरान सरकार ने निर्वासन अभियान का बचाव करते हुए कहा, ‘हमने हमेशा अच्छा मेजबान बनने की कोशिश की है. लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और जो लोग गैर-कानूनी रूप से रह रहे हैं, उन्हें वापस जाना ही होगा.’

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