बिहार SIR में कटा जिन 65 लाख वोटर्स का नाम, चुनाव आयोग ने जारी की उनकी लिस्ट

बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से जिन 65 लाख वोटर्स के नाम हटाए उनकी लिस्ट जारी कर दी गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआईआर के बाद बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर डाल दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह दिया था आदेश
बिहार एसआईआर को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह चुनाव आयोग से कहा था कि वह मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित करे, साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके.
जिलों की वेबसाइट पर डाला गया लिस्ट- ज्ञानेश कुमार
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के 56 घंटे के भीतर जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं थे, उन्हें जिलों की वेबसाइट पर डाल दिया गया. चुनाव आयोग की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, निर्वाचक पंजीयन अधिकारी (ईआरओ) जो एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं, बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) की सहायता से मतदाता सूची तैयार करते हैं और उसे अंतिम रूप देते हैं.
‘आपत्तियां दर्ज करने के लिए एक महीने का समय’
ई आर ओ और बी एल ओ मतदाता सूची के त्रुटि रहित होने की जिम्मेदारी लेते हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन के बाद, उनकी डिजिटल और हॉर्ड कॉपी सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और आयोग की वेबसाइट पर भी डाल दी जाती हैं. उन्होंने बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन के बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने से पहले, मतदाताओं और राजनीतिक दलों के पास दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पूरे एक महीने का समय होता है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एआई और डीप फेक चुनाव आयोग के लिए वास्तविक चुनौती हैं और आयोग कानून के दायरे में रहकर इनसे निपटने की पूरी कोशिश करेगा. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि मशीन से पढ़ी जा सकने वाली मतदाता सूचियों से मतदाताओं की निजता भंग हो सकती है।