कोटा में अवैध धर्मांतरण का खुलासा, पुलिस ने दो ईसाई मिशनरियों पर केस बनाया।

राजस्थान के कोटा में मतांतरण का पहला मामला: नया कानून और पुलिस की बड़ी कार्रवाई
🔹 प्रस्तावना
राजस्थान में लागू नया कानून ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम–2025’ अब सक्रिय रूप से प्रभाव दिखा रहा है। कोटा जिले में इस कानून के तहत दर्ज हुआ पहला मामला राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। इस केस में दो ईसाई मिशनरियों पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को लालच, प्रलोभन और आपत्तिजनक भाषण देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया।
🔹 मामला कैसे सामने आया?
29 अक्टूबर 2025 को नया अधिनियम लागू हुआ, और कुछ ही दिनों बाद कोटा के बोरखेड़ा थाना क्षेत्र में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान दोनों मिशनरियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई।
आरोप है कि चर्च में आयोजित आत्मिक सत्संग के दौरान मिशनरियों ने हिंदू धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहीं और प्रदेश की सरकार को “शैतान का राज” बताया। यह सामग्री एक वीडियो में रिकॉर्ड होकर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वीडियो सामने आते ही पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की।
🔹 पुलिस की कार्रवाई और एफआईआर
बोरखेड़ा थाना अधिकारी देवेश भारद्वाज के अनुसार, मामले की पुष्टि होते ही चंडी वर्गीश (दिल्ली निवासी) और अरुण जान (कोआ निवासी) को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 और नए अधिनियम की धारा 3 और धारा 5 के तहत केस दर्ज किया।
धारा 3 – किसी भी व्यक्ति को जबरन, लालच देकर या धोखे से धर्म बदलने के लिए प्रेरित करना अपराध है।
धारा 5 – इस तरह के अपराध में शामिल व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई और सजा का प्रावधान।
🔹 धर्म परिवर्तन का आरोप और प्रलोभन
शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि मिशनरियों ने धर्म परिवर्तन करने वालों को
✔ पैसे
✔ मेडिकल सहायता
✔ बच्चों की पढ़ाई
✔ नौकरी और अन्य भौतिक लाभ देने का वादा किया था।
इसी लालच में कुछ लोग प्रभावित हुए, और यही पुलिस जांच का मुख्य आधार बना।
🔹 “शैतान का राज” बयान से बढ़ा विवाद
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, मिशनरियों ने कार्यक्रम में यह भी कहा कि हिंदू धर्म और उसकी परंपराएं लोगों को पीछे ले जाती हैं, जबकि ईसाई धर्म अपनाने पर जीवन में समृद्धि आती है। इसी दौरान उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार को “शैतान का राज” कहकर विवाद को और भड़का दिया। इससे धर्मीय भावनाएं आहत हुईं और मामला कानूनी विवाद में बदल गया।
🔹 सोशल मीडिया की भूमिका
जैसे ही कार्यक्रम का वीडियो वायरल हुआ, समाज के कई वर्गों में नाराज़गी शुरू हुई। वीडियो देखने के बाद कई संगठनों ने इसे धार्मिक उकसावे और मतांतरण की साजिश बताया।
पुलिस ने भी वीडियो को प्राथमिक साक्ष्य मानकर जांच में शामिल किया।
🔹 नए कानून की अहमियत
‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम–2025’ का उद्देश्य राज्य में धोखे, जबरन या प्रलोभन से कराए जाने वाले धर्म परिवर्तन पर रोक लगाना है। इस कानून के तहत यह पहला मामला दर्ज हुआ है, जिससे सरकार की गंभीरता और पुलिस की सतर्कता स्पष्ट होती है।
🔹 समाज और राजनीति की प्रतिक्रिया
✔ हिन्दूवादी संगठनों ने इस केस को संस्कृति की रक्षा का प्रयास बताया।
✔ ईसाई संगठनों ने इसे अनुचित कार्रवाई मानते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की।
✔ राजनीतिक हलकों में इसे कानून की कसौटी का पहला बड़ा मौका कहा जा रहा है।
🔹 क्या हो सकते हैं कानूनी परिणाम?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आरोप साबित होते हैं तो दोनों मिशनरियों को 3 से 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, यह मामला भविष्य में अन्य ऐसे मामलों की कानूनी प्रक्रिया को भी प्रभावित करेगा।
🔹 निष्कर्ष
कोटा का यह मामला सिर्फ कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि समाजिक, राजनीतिक और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील है। यह केस आने वाले समय में समाज और प्रशासन के लिए एक मिसाल हो सकता है कि धार्मिक स्वतंत्रता और कानून की मर्यादा के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।




