दुनिया भर में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है।समुद्र में ही क्यों बिछाए जाते हैं इंटरनेट के तार, जानें क्या है सच

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दुनिया भर में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है।

समय के साथ वैश्विक इंटरनेट उपयोगकर्ता

हालाँकि, विभिन्न विश्वसनीय स्रोत इस आंकड़े को 4.8 बिलियन से 547 बिलियन के बीच बताते हैं । इसका मतलब है कि वैश्विक आबादी का 59.9% से 68.3% हिस्सा ऑनलाइन है।

नीचे हम आंकड़ों पर गहराई से विचार करेंगे और बताएंगे कि वर्तमान में किन देशों में सबसे अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं।

अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट आँकड़े

  • चीन में 1 अरब से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं।
  • 90% से अधिक अमेरिकी इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
  • वैश्विक जनसंख्या का 59.9% से 68.3% हिस्सा ऑनलाइन है।
  • 24% इंटरनेट उपयोगकर्ता पूर्वी एशिया में रहते हैं।
  • उत्तरी यूरोप में इंटरनेट प्रवेश दर सबसे अधिक (97.4%) है।
  • दक्षिण अफ़्रीकी लोग औसतन प्रतिदिन इंटरनेट पर विश्व स्तर पर सर्वाधिक 9 घंटे 38 मिनट बिताते हैं।

किस देश में सबसे अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं?

शायद इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि अपनी विशाल जनसंख्या को देखते हुए, चीन अनुमानित 1.05 बिलियन के साथ वैश्विक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में सबसे आगे है । चीन में लगभग 4 में से 3 लोग (74.36%) इंटरनेट का उपयोग करते हैं।

भारत वर्तमान में दूसरे स्थान पर है, जहां इसकी लगभग आधी जनसंख्या (49:15%) इंटरनेट का उपयोग करती है . जोकि 692 मिलियन है।

अमेरिका शीर्ष तीन स्थानों पर है, जहां 331.9 मिलियन की जनसंख्या में से 311.3 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं (93. 79%)।

समुद्र में ही क्यों बिछाए जाते हैं इंटरनेट के तार, जानें क्या है सीक्रेट
समुद्र : बिना तारों के हम सभी तेज-तर्रार वायरलेस इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर समुद्र न होता तो शायद हम कभी इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर पाते। ज्यादातर लोगों को समुद्र और इंटरनेट के बीच मौजूद गजब रिश्ते के बारे में नहीं पता है। दुनिया इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाए इसके लिए ही समुद्र की गहराइयों में 15 लाख किलोमीटर लंबी तारें बिछाई गई हैं। इन तारों की वजह से ही हम अपने घर और ऑफिस में इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं।

इंटरनेट और समुद्र
दुनिया भर में इंटरनेट आसानी से पहुंच सके इसीलिए समुद्र की गहराई में 15 लाख किलोमीटर लंबी तारें बिछाई गई हैं। लेकिन ये तारें समुद्र में ही क्यों बिछाई गई हैं और क्या इन पर पानी का असर नहीं होता है?

थोड़ा सा इतिहास
समुद्र में बिछाई गई तारों को सबमरीन फाइबर ऑप्टिक केबल कहा जाता है। सबसे पहले ये तार फ्रांस और इंग्लैंड के बीच लगभग साल 1850 में बिछाई गई थी। इसके बाद दुनिया में पहली बार ट्रांस-अटलांटिक टेलीग्राफ केबल लंदन और उत्तरी अमेरिका के बीच बिछाई गई और पहली बार 10 घंटों में 143 शब्दों को ट्रांसमिट किया गया।

सबमरीन ऑप्टिक फाइबर

सबमरीन ऑप्टिक फाइबर तारें सिलिका ग्लास के फाइबर से बनी हुई होती हैं और इनमें कई लेयर्स मौजूद होती हैं। ये तारें हमारे घरों के वाईफाई में मिलने वाली ऑप्टिक फाइबर से काफी बेहतर होती हैं और एक बारे में बहुत सारा डेटा ट्रान्सफर कर सकती हैं।

पानी से बचने के लिए​
पानी से इन्हें बचाने के लिए इनपर कई लेयर प्लास्टिक और रबड़ का इन्सुलेशन मौजूद होता है। इन तारों को दोनों तरफ से 20 हजार वाट बिजली की पावर प्रदान की जाती है।

समुद्र में ही क्यों?
दरअसल जमीन के मुकाबले समुद्र में ये तारें ज्यादा सुरक्षित हैं। इतना ही नहीं, समुद्र का तल जमीन के मुकाबले ज्यादा स्थिर है जिस वजह से तार को ज्यादा इधर उधर नहीं करना पड़ता।

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