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लखनऊ। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के प्रदेश कार्यालय में क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई गई। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष पवन भाई गुप्ता ने सावित्रीबाई फुले के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए एवं उनके जीवन संघर्ष और महिलाओं की शिक्षा के लिए उनके अद्भुद योगदान के बारे में बताया।

प्रदेश अध्यक्ष पवन भाई गुप्ता ने कहा कि माता सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका समाज सुधारक और कवयित्री थीं। उन्होंने समाज में शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए ऐतिहासिक कार्य किए। माता सावित्रीबाई फुले और उनके पति महान समाज सुधारक ज्योतिराव फुले ने 1848 में पुणे में पहली कन्या पाठशाला (बालिका विद्यालय) की स्थापना की। यह भारत में महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में पहला कदम था।

पवन भाई गुप्ता ने कहा कि माता सावित्रीबाई फुले ने समाज में जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए शिक्षा को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने दलित और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किए। माता सावित्रीबाई ने खुद शिक्षा ग्रहण की और देश की पहली महिला शिक्षिका बनीं।

उनका शिक्षिका बनना उस समय महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। 1873 में माता सावित्रीबाई ने अपने पति महान समजा सुधारक ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इस संस्था का उद्देश्य शिक्षा, समानता और समाज सुधार को बढ़ावा देना था। सावित्रीबाई फुले जी ने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया, बाल विवाह का विरोध किया। और विधवाओं के लिए विशेष आश्रय स्थल बनाए। उन्होंने गर्भवती विधवाओं को आत्महत्या करने से बचाने के लिए बालहत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की।

पवन भाई गुप्ता ने कहा कि क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं और दलितों को शिक्षित होने के लिए प्रेरित करने वाली कविताएं लिखीं। उनकी कविताओं ने समाज में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सावित्रीबाई फुले का जीवन इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा समाज में समानता और प्रगति लाने का सबसे शक्तिशाली साधन है। उनका योगदान आज भी प्रेरणादायक है।

इस दौरान आरपीआई के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष नदीम भारती, लखनऊ महानगर अध्यक्ष आरके गौतम, लखनऊ महिला मोर्चा अध्यक्ष नसीमा सोलंकी सहित अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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