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कवि गोपाल दास नीरज की 100वीं जयंती पर साहित्यिक संगोष्ठी: कवि की काव्य प्रतिभा को किया रेखांकित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने पद्म भूषण डॉ. गोपाल दास नीरज की 100वीं जन्म जयंती के अवसर पर नेशनल पीजी कॉलेज में एक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री विद्या बिंदु ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. हरि शंकर मिश्र और मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने नीरज जी के साहित्यिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।

प्रेरक कवि के रूप में नीरज जी का व्यक्तित्व

कार्यक्रम में विद्या बिंदु ने नीरज जी के प्रेरक व्यक्तित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका गीत ‘‘एक स्वप्न के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है’’ आज भी लोगों को प्रेरणा देता है। नीरज जी के गीतों ने मानवता को समझने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है।

साहित्यिक संघर्ष से सफलता की ओर

प्रो. हरि शंकर मिश्र ने नीरज जी के संघर्षपूर्ण जीवन पर बात करते हुए कहा कि उनके जीवन में कवि बनने की यात्रा बचपन में ही शुरू हो गई थी। 9वीं कक्षा में ही उनका गीत संग्रह तैयार हो गया था, जो उनकी काव्य प्रतिभा को साबित करता है।

प्रेम और सौंदर्य के कवि गोपाल दास नीरज

प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने नीरज जी को जीवन के कवि के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि नीरज जी की कविता प्रेम, सौंदर्य, और वेदना से जुड़ी हुई है। उनका योगदान मंचीय कविता को शिखर पर ले जाने में था। नीरज जी का साहित्य मनुष्यत्व और राष्ट्रीयता को प्रेरित करता है।

संगोष्ठी में विद्यार्थियों और साहित्यकारों की सहभागिता

कार्यक्रम में कॉलेज के विद्यार्थियों और साहित्यकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डा. रश्मि शील ने किया और डा. सीमा सिंह, प्रो. रामकृष्ण तथा प्राचार्य देवेंद्र कुमार ने अपने विचार प्रस्तुत किए। छात्रों को शाल एवं माला से सम्मानित किया गया।

भविष्य में बड़े कार्यक्रम की घोषणा

कार्यक्रम के अंत में यह भी घोषणा की गई कि नीरज जी की जयंती पर एक बृहद कवि सम्मेलन एवं युवा प्रतिभा प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें काव्य, कहानी और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी और विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।

संगोष्ठी की सफलता पर संस्थान की सराहना

संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम की उपस्थित जन ने भूरि-भूरि सराहना की।

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