मंडलायुक्त ने महिला कल्याण विभाग की संस्था का किया निरीक्षण: बच्चों की देखभाल में चलाए जा रहे प्रयासों का जाना हाल

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लखनऊ। मंडलायुक्त डॉ रोशन जैकब ने महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित मानसिक मंद बुद्धि वाले बच्चों के लिए बनाई गई पीपीपी मॉडल संस्था का निरीक्षण किया। यह संस्था मोहान रोड स्थित है और यहां बच्चों की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक उन्नति के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। निरीक्षण के दौरान मंडलायुक्त के साथ लखनऊ मंडल के उप निदेशक प्रवीण त्रिपाठी, जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह और निर्वाण संस्था के संचालक डीएस ढापोला भी मौजूद रहे।

संस्था में बच्चों की देखभाल और विकास की दिशा में चलाए जा रहे प्रयासों का लिया विवरण

इस दौरान कमिश्नर ने संस्था के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया, जिसमें शयन कक्ष, किचन, स्टोर और साफ-सफाई की स्थिति शामिल थी। उन्होंने बच्चों की देखभाल, मानसिक उन्नयन और पुनर्वास के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी ली। संस्था संचालक डी एस ढापोला ने बताया कि यहां बच्चों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है–माइल्ड, सीवियर और प्रफाउंड बच्चों को उनकी श्रेणी के अनुसार विभिन्न गतिविधियों में शामिल किया जाता है ताकि उनका मानसिक विकास हो सके और वे आत्मनिर्भर बन सकें।

मंडलायुक्त ने बच्चों की चिकित्सा, स्वास्थ्य देखभाल और खेती के प्रयासों की सराहना की

कमिश्नर डॉ जैबक ने बच्चों की चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल के प्रयासों की भी जानकारी ली। उन्होंने बच्चों द्वारा संस्था परिसर में की जा रही ऑर्गेनिक खेती की सराहना की, जो बच्चों को आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आवश्यक सुधारों और प्रशिक्षण के लिए दिए गए निर्देश

मंडलायुक्त ने बच्चों के मानसिक विकास के लिए कई निर्देश दिए। उन्होंने संस्था में बच्चों को टी कोस्टर, फाइल कवर और लिफाफे जैसे उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देने की बात कही, ताकि वे अपनी मानसिक क्षमता के अनुरूप काम कर सकें। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि इन उत्पादों को मंडल और जनपद के सरकारी कार्यालयों में खरीदा जाए।

इसके अलावा बच्चों द्वारा तैयार किए गए मोटे अनाज के उत्पादों को विशेष प्रशिक्षण के जरिए आउटलेट्स के माध्यम से बेचा जाए।

संस्था की अवस्थापना सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता

संस्था की अवस्थापना सुविधाओं का निरीक्षण करते हुए मंडलायुक्त ने कुछ सुधारों की आवश्यकता जताई और इसे चाइल्ड फ्रेंडली बनाने के लिए जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देश दिया। उन्होंने पीडब्लूडी के अभियंताओं को संस्था का निरीक्षण करने और टॉयलेट ब्लॉक के निर्माण का आर्किटेक्ट डिजाइन बच्चों की जरूरतों के अनुसार तैयार करने को कहा, ताकि बच्चों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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