दवाओं के निर्माण पर प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा में उठाए सवाल: स्वास्थ्य मंत्री से मांगा जवाब

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Pramod-Tiwari-Special-Mentions-22-July-2024

Photo Credit: Social Media

लखनऊ। संसद सत्र के दौरान विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा में देश में दवाओं के निर्माण को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में बिकने वाली पचास दवाइयां घटिया गुणवत्ता की हैं। जो जन स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकती हैं। प्रमोद तिवारी ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इन दवाओं में पैरासिटामॉल, बीपी, खांसी, मल्टीविटामिन्स और कैल्शियम जैसी सामान्य दवाएं भी शामिल हैं।

लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर: तिवारी

विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने चेताया कि यह घटिया दवाएं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रही हैं, जहां लाखों लोग इन दवाओं का सेवन कर रहे हैं। उनका कहना था कि घटिया और नकली दवाओं का जाल तेजी से फैल रहा है, जो गरीब तबके के लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है।

गुणवत्ता परीक्षण में विफल दवाओं की संख्या

प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा में 2022 की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि छोटे दवा निर्माताओं द्वारा बनाई गई पंद्रह प्रतिशत से ज्यादा दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में विफल हो गईं। यह दवाएं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मात्रा में पाई जाती हैं, जिससे स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि घटिया दवाओं से केवल स्वास्थ्य पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि इन दवाओं की वजह से कई बार लोगों की मौत तक हो जाती है। उनका अनुमान था कि उत्पादित दवाओं में 12 से 25 प्रतिशत दवाएं मिलावटी और घटिया हो सकती हैं।

जनविश्वास विधेयक 2023 में किए गए संशोधन पर सवाल

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने जनविश्वास विधेयक 2023 के तहत किए गए संशोधन पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इस संशोधन में घटिया दवाओं के निर्माताओं पर जुर्माना लगाने का विकल्प दिया गया है, लेकिन इससे सजा का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे यह मुद्दा गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

सरकारी अस्पतालों में नकली दवाओं का अधिक होना चिंता की बात

राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी इस दौरान एक और चिंताजनक तथ्य सामने रखा कि सरकारी अस्पतालों में सबसे अधिक, यानी 38 प्रतिशत नकली दवाएं पाई गई हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए सरकार से इस पर व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की अपील की। प्रमोद तिवारी ने सरकार से मांग की कि दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और दवा निर्माण स्तर पर मानक का पालन सख्ती से किया जाए।

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