फोटो सोशल मीडिया से साभार

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जितेन्द्र शर्मा (रणनीतिकार)

अम्मा मैं सुषमा और डॉली के साथ मॉल जा रहा हूं तुम घर का ख्याल रखना |

ठीक है बेटा : तुम जाओ वैसे भी मेरे पैर में दर्द हो रहा है मैं मॉल में नहीं जाना चाहती तुम लोग जा आओ। दादी आपको भी मॉल चलना पड़ेगा 10 साल की पोती डॉली बोली ,तुम्हारी दादी मॉल में सीढियां नही चढ़ सकती उन्हें एस्कलेटर चढ़ना भी नहीं आता और वहां कोई मंदिर भी नहीं है इसलिए दादी को मॉल जाने में कोई शौक नहीं है |वो सिर्फ मंदिर जाने में रूचि रखती हैं, बहू सुषमा अपनी बेटी डॉली से बोली। इस बात से दादी सहमत हो गई पर उनकी पोती डॉली जिद पर अड़ गई कि वो भी मॉल नहीं जाएगी अगर दादी नहीं जाएंगी,जबकि दादी कह चुकी थीं कि उन्हें मॉल जाने का शौक नहीं है।

अंत मे 10 साल की पोती के सामने दादी की नहीं चली और वो भी साथ जाने को तैयार हो गईं , जिस पर पोती डॉली बहुत खुश थी |पिता ने सबको तैयार हो जाने को कहा। इससे पहले की मम्मी पापा तैयार होते सबसे बुजुर्ग दादी और सबसे छोटी लड़की डॉली तैयार हो गए। पोती दादी को बालकनी में ले गई और पोती ने एक फिट की दूरी से दो लकीर चॉक से बना दी , पोती ने दादी से कहा कि ये एक गेम है और आपको एक पक्षी की एक्टिंग करनी है।आपको एक पैर इन दो लाइन्स के बीच मे रखना है और दूसरा पैर 3 ईंच ऊपर उठाना है।

ये क्या है बेटी : दादी ने पूछा तो डॉली बोली ये बर्ड गेम है मैं आपको सिखाती हूं ,जब तक पापा कार लाएं तब तक दादी पोती ने काफी देर ये गेम खेला।वो मॉल पहुंचे और जैसे ही वो एस्कलेटर के पास पहुंचे,उसके मम्मी पापा परेशान हो गए कि दादी कैसे एस्कलेटर में चलेंगी। लेकिन वो आश्चर्यचकित रह गए जब उन्होंने देखा कि अम्मा आराम से एस्कलेटर में सीढ़ियां चढ़ रही थी और बल्कि पोती दादी एस्कलेटर में बार बार ऊपर नीचे जाकर खूब मज़े ले रहे थे ;दरअसल पोती ने दादी से कह दिया था कि यहां पर दादी को वही बर्ड गेम खेलना है दादी को अपना दायां पैर उठाना है और एक चलती हुई सीढी पर रखना है और फिर बायां पैर 3 इंच उठाकर चलती हुई अगली सीढ़ी पर रखना है |इस तरह दादी आसानी से एस्कलेटर पर चढ़ पा रही थी और दादी पोती खूब बार एस्कलेटर में ऊपर नीचे जाकर मज़े ले रही थीं |

उसके बाद वो पिक्चर हॉल गए जहां अंदर ठंडा था तो पोती ने चेहरे पर एक शरारतपूर्ण मुस्कान के साथ अपने बैग से एक शाल निकालकर दादी को ओढ़ा दिया जैसे कि वो पहले से तैयारी के साथ आई थी। मूवी के बाद सब रेस्टारेंट में खाना खाने गये , बेटे ने अपनी माँ “डॉली की दादी” से पूछा कि आपके लिए कौन सी डिश मंगवानी है। डॉली ने पापा के हाथ से खाने का मेनू झपटकर जबरन अपनी दादी के हाथ में दे दिया और कहा दादी आपको पढ़ना आता है ना आप स्वयं पढ़ कर निर्णय कीजिये कि क्या खाना मँगवाना है दादी ने मुस्कुराते हुए मेनू देख कर खाने का आदेश दे दिया |

खाने के बाद दादी और पोती ने वीडियो गेम खेले जो घर मे वो पहले से ही खेलते थे ,घर के लिए निकलने के पहले दादी वॉशरूम गई तो उनकी अनुपस्थिति का फायदा उठा कर पापा ने बेटी से पूछ लिया कि तुम्हे दादी के बारे में इतना सब कैसे पता है जो बेटा होते हुए मुझे भी पता नहीं है |बेटी ने तपाक से जवाब दिया कि पापा जब आप छोटे से थे तो आपको घर में अकेले नहीं छोड़ते थे न और आपको घर से बाहर ले जाने से पहले दादी कितनी तैयारी करती थीं,दूध की बोतलें, डायपर , आपके कपड़े,खाने पीने का समान ये सब दादी करती थीं |

आप क्यों सोचते हैं कि दादी को सिर्फ मंदिर जाने में रुचि है उनकी भी वही साधारण इच्छाएं होती हैं कि मॉल में जाएं सबके साथ खूब मज़ा करे, खाएं पियें घूमें पर आपको लगता है कि दादी साथ जाकर आपके मज़े को किरकिरा करेंगी, इसलिए वो खुद ही पीछे हट जाती थीं और अपने दिल की बात ज़ुबा पर नही ला पाईं कभी। पिता का मुंह खुला का खुला रह गया हालांकि वो खुश थे कि उनकी 10 साल की बिटिया ने उन्हें कितना सुंदर पाठ पढ़ाया है।

हमें भी अपने बुजुर्गो की इच्छाओं का ख्याल रखना चाहिए जैसा उन्होंने आप के बचपन में रखा था।

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