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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामों को लेकर संघ और पार्टी में तनाव, पीएम मोदी के रिटायरमेंट पर भी चर्चा

  • भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामों को लेकर संघ और पार्टी में तनाव
  • पीएम मोदी के रिटायरमेंट पर भी चर्चा

बेंगलूरु/दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नई नियुक्ति को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के बीच तनाव गहराता नजर आ रहा है। संघ ने हिंदू नव वर्ष में रामनवमी तक नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा की समयसीमा तय की थी, लेकिन भाजपा हाई कमान अभी तक इस मुद्दे पर सहमति नहीं बना पाया है। सूत्रों के अनुसार, संघ संजय जोशी और वसुंधरा राजे सिंधिया के नामों पर अडिग है, जबकि भाजपा इन नामों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। इसके बजाय, पार्टी मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने या नए नाम सुझाने की कोशिश में जुटी है, जिससे यह गुत्थी अब तक अनसुलझी बनी हुई है।
संघ के सूत्रों का कहना है कि पिछले सप्ताह बेंगलूरु में हुई तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में न केवल भाजपा अध्यक्ष पद पर चर्चा हुई, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मानजनक रिटायरमेंट पर भी विचार-मंथन किया गया। पीएम मोदी की ओर से तय की गई 75 साल की उम्र में सक्रिय राजनीति से अवकाश की नीति के तहत उनकी रिटायरमेंट की तारीख 17 सितंबर 2025 नजदीक आ रही है। अब केवल छह महीने शेष रहने के कारण इस मुद्दे ने भी राजनीतिक हलकों में नया सवाल खड़ा कर दिया है कि उनके बाद यह जिम्मेदारी कौन संभालेगा। क्या कोई नया चाणक्य इस कुर्सी पर चंद्रगुप्त बनकर उभरेगा?

भाजपा में 75 साल की उम्र में अवकाश की नीति पहले भी कई बड़े नेताओं पर लागू हो चुकी है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और यशवंत सिन्हा जैसे दिग्गजों को मार्गदर्शक मंडल में स्थान लेना पड़ा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा महाजन को भी पीछे हटना पड़ा, हालांकि उन्होंने पार्टी प्रत्याशी शंकर लालवानी की जीत में अहम भूमिका निभाई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नीति अब पीएम मोदी पर भी लागू होगी, जिसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है।
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने इस मुद्दे पर स्पष्ट राय रखी। उन्होंने कहा, “भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे नहीं होंगे। जो भी इस पद पर आएगा, वह निश्चित रूप से संघनिष्ठ होगा। भाजपा हाई कमान चाहे जितना जोर लगाए, संघ को दरकिनार कर कोई फैसला नहीं थोप सकता।” उन्होंने आगे कहा कि संघ के दर्जनों अनुसांगिक संगठनों में भाजपा भी शामिल है और सभी बड़े पदों पर नियुक्तियां संघ की सहमति से ही होती हैं। उदाहरण के तौर पर उन्होंने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने का जिक्र किया, जो संघ की मंजूरी से हुआ था।


भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कथित चाणक्य पिछले एक साल से खुद को नंबर दो की कुर्सी पर स्थापित रखते हुए अब चंद्रगुप्त बनने की तैयारी में हैं। वह अध्यक्ष पद पर अपने करीबी को देखना चाहते हैं, जैसा कि जेपी नड्डा ने पिछले लोकसभा चुनाव में कहा था कि भाजपा को अब किसी अन्य संगठन की जरूरत नहीं है। हालांकि, चुनाव में संघ के किनारा करने से सीटें घट गईं और यह दावा कमजोर पड़ गया। बाद में दोनों के बीच सुलह हुई, लेकिन अध्यक्ष पद पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई। संघ आज भी संजय जोशी और वसुंधरा राजे पर कायम है, जबकि इनमें एक नाम पीएम मोदी को और दूसरा अमित शाह को असहज कर रहा है। रामनवमी के बाद इस घोषणा को लेकर भाजपा के गलियारों में सियासी पारा चढ़ता नजर आएगा।

सब एडिटर मध्यप्रदेश अभिषेक कुमावत की रिपोर्ट

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