
यह बताया गया कि सेना के सामने सबसे बड़ी मुश्किलों में से एक—ऊँचाई पर स्थित चौकियों तक सामान और ज़रूरत की चीज़ें पहुँचाना—इस नई व्यवस्था से काफी आसान हो गया है। रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा कि इस प्रणाली की योजना बनाना, उसे तैयार करना और उसे उस जगह पर लगाना पूरी तरह सफल रहा है।
पहाड़ी इलाकों में अक्सर बहुत बर्फ पड़ती है, रास्ते खतरनाक होते हैं और मौसम भी अचानक बदल जाता है। इन कारणों से वहाँ तक नियमित सप्लाई पहुँचाना मुश्किल हो जाता था। कई बार रास्ते इतने खराब हो जाते थे कि सैनिकों को जरूरी सामान मिलने में देरी हो जाती थी।
अब इस नई तकनीक और व्यवस्था के कारण वह परेशानी कम हो गई है। इससे सेना उन चौकियों तक लगातार और सुरक्षित तरीके से सामान पहुँचा सकती है, जहाँ पहुँचना पहले बहुत कठिन था। चाहे बर्फ जमी हो, रास्ता फिसलन भरा हो या मौसम खराब—यह प्रणाली हर हाल में सप्लाई जारी रखने में मदद करती है।
कुल मिलाकर, यह व्यवस्था सेना के लिए बड़ी राहत है। इससे सैनिकों को बिना रुकावट सामान मिल सकेगा और वे अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से कर पाएँगे।
HighLights
- यह एक बार में 300 किलो से अधिक भार का परिवहन कर सकती है
- अग्रिम चौकियों तक निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने में बेहद सहायक
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि यह नई प्रणाली पूरी तरह तैयार कर ली गई है। इसका उद्देश्य सैनिकों की सबसे बड़ी समस्या—बर्फ और खराब मौसम की वजह से दूर-दराज़ चौकियों तक सामान पहुँचाने—का हल देना है। अब ऊँचे और कठिन इलाकों में तैनात जवानों को बिना रुकावट जरूरी सामग्री मिल सकेगी।




