लखनऊ। लखनऊ व्यापार मण्डल के चेयरमैन राजेन्द्र कुमार अग्रवाल और अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने राज्यकर आयुक्त वैट उत्तर प्रदेश से मुलाकात कर व्यापारियों के साथ हो रहे उत्पीड़न एवं परेशानी से अवगत कराया एवं ज्ञापन सौंपा।
व्यापारियों का कहना है कि छोटी-छोटी त्रुटियों पर अधिकारियों द्वारा नोटिस भेज कर परेशान करना रह गया है जब सब कुछ आन लाइन पोर्टल पर है तब अधिकारियों के द्वारा मनावीय त्रुटियों पर भी नोटिस भेजी जा रही है। जो कि न्यायोचित नहीं है। हर मानवीय त्रुटि को अधिकारी सन्देहात्कम दृष्टि से देख कर व्यापारी को चोर साबित करने में लगे रहते है जबकि व्यापारी इमानदारी के साथ अपना टैक्स भरता है।
ई-बिल में कई बार त्रुटि होने पर व्यापारी को नया ई-बिल बनाना पड़ता है ऐसे में कैन्सिल बिल देख कर नोटिस जारी करना उचित नहीं क्योकि जीएसटी लागू होने के बाद सारी जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध रहती है ई-बिल कैन्सिल होने पर कारण भी दर्शाया जाता है।
जीएसटी एक्ट में स्कुटनी उन्हीं लोगों की होती है।
जिनको कम्प्यूटर साफ्टवेयर अपने आप चिन्हित करता है पर प्रमुख सचिव द्वारा राज्य में अधिकारियों को मौखिक आदेश देकर शत-प्रतिशत स्कुटनी के लिए निर्देशित किये गये है। जिससे अधिकारियों द्वारा अंधाधुन्ध नोटिस जारी कर व्यापारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
जो एक्ट के विपरीत है राज्य कर के अधिकारियों के द्वारा फैक्ट्री के बाहर डेरा डाले हुए है और कहते है व्यापारी बाहर से माल मंगाने पर चोरी करते है तो चेक पोस्ट किसने समाप्त की हर सीमा पर चेक पोस्ट होती थी विभाग के द्वारा समाप्त किया गया। यदि अधिकारियों के द्वारा उत्पीड़न इसी तरह होता रहा तो व्यापारी सड़क पर उतरकर आन्दोलन करने को बाघ्य होगा।