इंदौर में बीआरटीएस हटाने की प्रक्रिया शुरू …..!

इंदौर । मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में बहुप्रतीक्षित बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम “बीआरटीएस” को हटाने की प्रक्रिया 28 की रात से शुरू हो गई, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी 2025 को इसकी मंजूरी दी थी और अब इंदौर नगर निगम ने इस योजना को अमल में लाने की तैयारी पूरी कर ली है। मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि यह काम जल्द शुरू होगा यह प्रक्रिया देर रात 28 फरवरी से शुरू हो गई जब ट्रैफिक का दबाव कम होता है। यह निर्णय ट्रैफिक भीड़ को कम करने और आवागमन को सुगम बनाने के उद्देश्य से लिया गया है, लेकिन इसे लेकर जनता और विशेषज्ञों में मतभेद भी देखने को मिल रहे हैं।
बीआरटीएस को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा और पहले उन हिस्सों पर ध्यान दिया जाएगा । जहां ट्रैफिक कम रहता है। यह दृष्टिकोण तार्किक माना जा रहा है,क्योंकि इससे शहर में यातायात व्यवधान को न्यूनतम रखा जा सकेगा। 11.5 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर जो निरंजनपुर से राजीव गांधी चौराहे तक फैला है। 2013 में 300 से 350 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया यह कारिडोर रोजाना 50,000 से 65,000 यात्रियों को इस परिवहन प्रणाली की सुविधा देता था। हालांकि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नवंबर 2024 में घोषणा की थी कि इसे हटाकर ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा जैसा कि भोपाल में पहले देखा गया।
इस निर्णय की पृष्ठभूमि में भोपाल का उदाहरण अहम है। भोपाल में बीआरटीएस हटाने के बाद ट्रैफिक में सुधार देखा गया, जिसे इंदौर में भी दोहराने की उम्मीद की जा रही है।मुख्यमंत्री का कहना है कि बीआरटीएस लेन के कारण सड़कों पर जाम की स्थिति बनती है, जबकि इसका उपयोग सीमित रहता है। हालांकि इंदौर में बीआरटीएस के समर्थकों का तर्क है कि यह एक विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है, जो पिछले 13 सालों से शहर की जरूरतों को पूरा कर रही है। उपयोगकर्ताओं के 80% हिस्से ने इसके हटाने का विरोध किया है, उनका कहना है कि इससे निजी वाहनों की संख्या बढ़ेगी और प्रदूषण में वृद्धि होगी।
हटाने की प्रक्रिया को लेकर विस्तृत योजना बना ली गई है । लेकिन यह स्पष्ट है कि कम ट्रैफिक वाले क्षेत्रों से शुरुआत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे फ्लाईओवर निर्माण जैसे अन्य प्रोजेक्ट्स को भी गति मिल सकती है। दूसरी ओर पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि सार्वजनिक परिवहन के इस विकल्प के हटने से शहर की हवा की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
बताते चलें कि बीआरटीएस की शुरुआत 10 मई 2013 को हुई थी और उस समय इसे शहर के लिए एक क्रांतिकारी कदम माना गया था। अब करीब 12 साल बाद इसके हटने का फैसला विवादास्पद बन गया है। कुछ नागरिक इसे ट्रैफिक सुधार के लिए जरूरी मानते हैं तो कुछ इसे शहर की पहचान और सुविधा का नुकसान बताते हैं।
मध्य प्रदेश से अभिषेक कुमावत की रिपोर्ट