बस्ती। सोमवार को वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति के महामंत्री वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा के संयोजन में कलेक्ट्रेट परिसर में विजय दिवस मनाया गया। उन्होने कहा कि 16 दिसंबर का दिन सैनिकों के शौर्य व जज्जे को सलाम करने का दिन है। इसी दिन 1971 में भारतीय सेना की वीरता के आगे पाकिस्तान की सेना ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश को आजादी मिली थी।
यह युद्ध 13 दिन चला था। 16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक जीत की खुशी आज भी हर देशवासियों के मन को जोश व उमंग से भर देती है। पूरा देश ऐतिहासिक विजय के नायक रहे भारतीय सेना के वीर जवानों के शौर्य और बलिदान को सलाम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के इस शौर्य के लिये उन्हें सदैव याद किया जायेगा।
वरिष्ठ चिकित्सक एवं साहित्यकार डॉ वीके वर्मा ने कहा कि बंटवारे के समय भारत के दो हिस्सों को पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के नाम पर अलग कर दिया गया था। बंगाल का बड़ा हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। पश्चिमी पाकिस्तान की हुकूमत पूर्वी पाकिस्तान की जनता के साथ बुरा बर्ताव करती आई। 24 साल तक पूर्वी पाकिस्तान से पश्चिमी पाकिस्तान के अत्याचारों को सहा। भारत ने पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में उनका साथ दिया। युद्ध में भारत की जीत के साथ पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर बाग्लांदेश बना।
कार्यक्रम को बटुकनाथ शुक्ल, बीके मिश्र, पं चन्द्रबली मिश्र, साधूशरण शुक्ल, डा. वाहिद अली सिद्दीकी, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, डॉ राम कृष्ण जगमग, आदित्यराज आशिक आदि ने कहा कि बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग करने लिए हुए इस युद्ध में भारतीय सेना के करीब 4000 जांबाज सैनिक भी शहीद हुए थे जिन्हें देश विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है। मुख्य रूप से सेराज अहमद इदरीसी, दीनानाथ यादव, कृष्ण चन्द्र पाण्डेय, नेबूलाल कन्नौजिया, गणेश प्रसाद, सामईन फारूकी, ब्रम्हानन्द आदि उपस्थित रहे।