आगरा में 1971 में गिराए गए थे 16 बम, नूरी दरवाजा पर बनाया गया था बंकर; बम गिरने से 10-12 फीट गहरा गड्ढा बन गया था।

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इतिहासकार राजकिशोर राजे ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई यादें साझा कीं।

आगरा 1971 के युद्ध के दौरान बमों से गूंज उठा था। पाकिस्तानी बमवर्षक विमान मार्टिन बी-57 कैनबरा ने 3 दिसंबर की शाम खेरिया एयरपोर्ट पर बम गिराए थे। रनवे के पास बम गिरने से गहरे गड्ढे बन गए थे। इसके अलावा, धिमिश्री और कीठम क्षेत्रों में भी बम गिरने से काफी नुकसान हुआ था।

हम पहुंच जाते थे छतों पर राजकिशोर राजे बताते हैं कि उस समय परिवार गोकुलपुरा में रहता था। नागरी प्रचारिणी और नूरी दरवाजे पर बंकर बनाए गए थे। हमले के समय इन दोनों जगहों पर जाकर छिपते थे। जब सायरन बजता था, परिवार तो घर के अंदर छिप जाते थे। युवा छतों पर निकल आते थे। रात में ऐसा लगता था कि आसमान में फुलझड़ियां छूट रही हैं। रोशनी बिल्कुल नहीं की जाती थी। खिड़की दरवाजों पर काले पर्दे टांगे गए थे। काले रंग की पन्नी और कवर लगाए गए थे। स्ट्रीट लाइट पर लगे बल्ब पर कीप लगा दी गई थी, जिसकी रोशनी सिर्फ सड़क पर आती थी।

खतरा ताजमहल को नहीं था इतिहासकार राजकिशोर राजे कहते हैं कि ताजमहल को ढका गया था लेकिन उसे बम से उड़ाने का खतरा नहीं था। खतरा था कि ताजमहल से एयरपोर्ट की लोकेशन की जानकारी दुश्मन को हो सकती है। ताजमहल से खेरिया एयरपोर्ट कितना दूर है, इसका आंकलन दुश्मन कर सकता है। ताजमहल तो मुगलिया इमारत है। इसे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।

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