परमाणु ऊर्जा कानूनों में होने वाले बदलाव की तैयारी में मोदी सरकार, बना रही है एक व्यापक रणनीति।

2020 में ही प्राइवेट भागीदारी के खोला था द्वार
सूत्रों ने आगे कहा कि सरकार नियामक सुधारों पर भी विचार कर रही है और इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉरिजेशन सेंटर (इनस्पेस) के मॉडल का मूल्यांकन कर रही है, जो स्पेस क्षेत्र के लिए प्रमोटर एंड रेगुलेटर के रूप में काम करता है, जिसे 2020 में प्राइवेट भागीदारी के लिए खोल दिया गया था। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 के बजट में न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर को खोलने की घोषणा की, जिसे अब तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तक सीमित रखा गया था।
2033 तक 5 एसएमआर चालू
बता दें कि भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड देश में न्यूक्लियर पॉवर प्लांट का संचालन करता है, जो देश में 8.7 गीगावाट बिजली प्रदान करते हैं। सीतारमण ने 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन की और 2033 तक 5 स्वदेशी रूप से विकसित एसएमआर को चालू करने की भी घोषणा की थी।
प्रोडक्शन को बड़े लेवल पर बढ़ाना है लक्ष्य
परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल में कहा था कि परमाणु ऊर्जा मिशन का उद्देश्य प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को बढ़ावा देना, नियामक ढांचे को सरल बनाना और भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन को बड़े लेवल पर बढ़ाना है। इसके बाद विदेशी परमाणु ऊर्जा कंपनियों ने भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में दिलचस्पी दिखाई थी, जब भारत ने ग्लोबल न्यूक्लियर ट्रेड में शामिल होने के लिए न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप से छूट हासिल की थी।
100 गीगावाट न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन का लक्ष्य
बता दें कि एनएसजी की छूट 2008 के ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के बाद मिली थी। हालांकि, 2010 का न्यूक्लियर डैमेज के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए एक बाधा साबित हुआ। प्राइवेट सेक्टर ने कानून के कुछ प्रावधानों को अस्वीकार्य बताया और न्यूक्लियर डैमेज के लिए पूरक मुआवजे के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते (सीएससी) का खंडन किया। ऐसे में अब सरकार को उम्मीद है कि 2047 तक 100 गीगावाट न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राइवेट सेक्टर निवेश करेगा।
50 फीसदी पीपीपी से आने की उम्मीद
अधिकारियों ने कहा कि 100 गीगावाट लक्ष्य का लगभग 50 प्रतिशत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से आने की उम्मीद है। एक संसदीय समिति ने भी एक मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिश की है जिसमें घरेलू और विदेशी दोनों निवेशों को लुभाने के लिए सरकारी प्रोत्साहन, वीजीएफ और गारंटी शामिल हो। समिति ने सुझाव दिया था कि न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन में प्राइवेट इंवेस्टमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूक्लियर एनर्जी एक्ट और न्यूक्लियर डैमेज के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में विधायी संशोधनों में तेजी लाई जाए।