महाकुंभ का इतिहास और त्रासदी: आस्था, सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों का संगम

0
dbe5e698-af0d-4d76-a3a8-d462f6a426cb

लेखक वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव

लखनऊ। महाकुंभ भूलोक का सबसे विशाल जनवादी पर्व, जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना भी करता है। 1954 का महाकुंभ भारतीय गणतंत्र का पहला था, जिसमें एक अप्रत्याशित घटना ने 500 श्रद्धालुओं की जान ले ली थी। चप्पलों और जूतों से पहचानने वाले इस महानतम मानवीय त्रासदी के बाद से गजराज का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। फिर भी हर महाकुंभ के दौरान यह घटना ताजे घाव की तरह याद आती है।

धन हानि और अपव्यय के मामलों पर चिंता

इस बार के महाकुंभ में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की उम्मीद है। और इस बार सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिकी हैं, ताकि अंतिम स्नान सुरक्षित रूप से संपन्न हो सके। प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्थाओं की उत्कृष्टता के साथ-साथ राजकोष की मर्यादा भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर कुंभ के बाद अपव्यय और गबन की चर्चाएं आम होती हैं। कुंभ के बाद हर बार आर्थिक अनियमितताओं की जांच होती है। लेकिन परिणाम अक्सर दब जाते हैं। लेखाकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि पवित्र धर्मकोष की लूट के परिणाम गंभीर होते हैं। कौटिल्य चाणक्य ने सही कहा था, “मछली कब पानी पी ले और राजपुरुष कब राजकोष में सेंध लगा दें, यह जानना कठिन है।

योगी सरकार से उम्मीदें

इस बार योगी आदित्यनाथ से उम्मीद है कि वे उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। जो राजकोष पर डाका डालने और धर्मप्राण जनता की सुरक्षा में कोताही बरतने के दोषी हैं। नवीन तकनीक और व्यवस्थाओं के साथ भव्य आयोजन:
महाकुंभ 2025 में विशेष रूप से नए तकनीकी उपायों और व्यवस्थाओं के साथ उम्मीद की जा रही है कि यह आयोजन पहले से कहीं अधिक भव्य और सुव्यवस्थित होगा। सरकार ने श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए व्यापक तैयारी की है।

1954 का कुंभ और उसकी ऐतिहासिक धरोहर

वर्ष 1954 का महाकुंभ न केवल स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया था। महाकुंभ 2025 की तैयारियां इस महान परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए हो रही हैं। एक यादगार घटना जब अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री थे, महाकुंभ प्रशासन और मीडिया के बीच टकराहट के दौरान पुलिस ने मीडिया शिविर पर हमला किया था। इस पर विरोध स्वरूप भूख हड़ताल शुरू हो गई थी। लेकिन, अटल जी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री को समाधान के निर्देश दिए, और शांति स्थापित हो गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *