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राष्ट्रीय बालिका दिवस पर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशाला: बालिका सुरक्षा और समानता पर जोर

लखनऊ। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर लखनऊ मंडल के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यालय में जागरूकता अभियान आयोजित किया गया। मंडलायुक्त प्रतिनिधि गूंजिता अग्रवाल, आईएएस ने इस अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में मंडलीय एवं जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन भी हुआ।

बालिका सुरक्षा और समानता पर जोर

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जीपी गुप्ता अपर निदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, लखनऊ मंडल ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। इस दिन का उद्देश्य बालिकाओं को सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पोषण तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं जैसे कन्या सुमंगला योजना और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का उद्देश्य समाज में लिंग समानता को बढ़ावा देना है।

लिंगभेद पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता

डॉ. जीपी गुप्ता ने अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर आने वाले लाभार्थियों को लिंग भेदभाव के खिलाफ काउंसलिंग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समाज में यह संदेश फैलाना जरूरी है कि लड़कियां भी ऊंचे मुकाम हासिल कर सकती हैं और लड़का-लड़की में कोई भेद नहीं किया जाना चाहिए।

लिंग चयन और भ्रूण हत्या के खिलाफ कानूनों पर चर्चा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एनबी सिंह ने भ्रूण हत्या और लिंग चयन पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी एक्ट), 1994 और गर्भ समापन संशोधन अधिनियम (एमटीपी एक्ट) 2021 को लागू किया है, ताकि लिंग चयन और भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाया जा सके।

मुखबिर योजना से जुड़ने की अपील

पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डॉ. केडी मिश्रा ने मुखबिर योजना की जानकारी दी। जिसके तहत लिंग चयन या भ्रूण हत्या में शामिल व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। उन्होंने सभी से इस योजना का प्रचार-प्रसार करने की अपील की।

लिंग निर्धारण के लिए सजा का प्रावधान

बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. आरके चौधरी ने बताया कि लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने वाले और एक्ट के उल्लंघन करने वालों के लिए कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक अल्ट्रासाउंड केंद्र में पीसीपीएनडीटी एक्ट की जानकारी प्रदर्शित करना अनिवार्य है।

कार्यशाला में कई विशेषज्ञों की उपस्थिति

इस कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीएन यादव, डॉ. एमएच सिद्दीकी, उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एपी सिंह, और अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व विशेषज्ञ उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, सीफॉर (सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च) के प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

 

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