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सामाजिक बदलाव लाने में सक्षम है हिन्दी पत्रकारिता, जिम्मेदारी निभाएं कलमकार- अशोक श्रीवास्तव

बस्ती। कंपोजिट विद्यालय बनकटी में आयोजित चन्द्रगुप्त मौर्य प्रभा वंश महिला पीजी कालेज की ओर से सात दिवसीय (दिन रात) राष्ट्रीय सेवा योजना के शिविर में जिले के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा भारत में 1826 में पहला हिन्दी अखबार कोलकाता से था जिसका नाम “उदंत मार्तंड” था, कानपुर के रहने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल इसका संपादन करते थे। हालांकि यह अखबार बहुत दिनों तक नही चला। उदंत मार्तंड से शुरू हुआ अखबारों का सफर 19वीं सदी में इलेक्ट्रानिक मीडिया का रूप ले लिया। वरिष्ठ पत्रकार मुख्य अतिथि के रूप में ‘‘मौजूदा परिवेश में हिन्दी पत्रकारिता के योगदान’’ विषय पर आयोजित बौद्धिक सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों ने समाचारों को दी नई रफ्तार

यह वह दौर था जब 1925 में टेलीविजन का आविष्कार हो चुका था और इसका खूब प्रसार हुआ। कागज पर छपने वाले अखबारों की अपेक्षा लोग इलेक्ट्रानिक समाचार माध्यमों से जुड़ने लगे जो तेज गति से समाचारों को आमजन तक पहुंचाने लगे। 1989 में इंटरनेट ब्राउज़र का आविष्कार हुआ और 1997 में जब स्मार्टफोन आया तो समाचारों की दुनियां में मानो एक नई क्रांति आ गई और वेबसाइटों पर समाचार तुरन्त के तुरन्त सार्वजनिक होने लगे।


सोशल मीडिया सूचनाओं के आदान प्रदान व विविध प्रकार की जानकारियों का सशक्त माध्यम

अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि बदलते जमाने मे अब हर हाथ में मोबाइल है, ऐसे में एक नए माध्यम सोशल मीडिया ने जन्म लिया। इस प्रकार प्रिण्टमीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, डिजिटल मीडिया और अब सोशल मीडिया सूचनाओं के आदान प्रदान व विविध प्रकार की जानकारियों का सशक्त माध्यम बन चुका है, अभिव्यक्ति की आजादी बढ़ी है। हिन्दी पत्रकारिता हमेशा समाज के परिवर्तन का माध्यम रही है। देश की एक बड़ी आबादी हिन्दी भाषी है। हिन्दी सरलता से सीखी और बोली जा सकती है इसलिये हिन्दी पत्रकारिता का विकास अपने चरम पर पहुंचा। आज समाज में विभिन्न कुरीतियों और नए – नए तरीकों की आपराधिक प्रवृत्ति जन्म ले रही है ऐसे में हिन्दी पत्रकारिता और ज्यादा प्रासंगिक हो गई है।हिन्दी लिखने पढ़ने वालों को चाहिए कि वे अपने लेखों, रचनाओं, समाचारों, संपादकीय, विश्लेषण आदि से समाज को वैचारिक ताकत दें जिससे नैतिकता का क्षरण रोका जा सके और लोगों के भीतर चारित्रिक और आत्मिक बल का विकास हो।

इससे पहले अशोक श्रीवास्तव, कालेज की प्रबंध निदेशक श्रीमती नीलम मौर्य, प्राचार्य डा. अनीता मौर्य, एवं प्रवक्ता विजय कुमार यादव ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर छात्राओं ने भी हिन्दी पत्रकारिता के योगदान पर अपने विचार रखे। डा. अनिल कुमार मौर्य, कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार गौतम, श्रंखला पाल, ज्योति पाल, शिखा पाण्डेय, सुनील कुशवाहा, शालिनी पाल आदि शिविर में मौजूद रहीं।

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