मध्य प्रदेश अपराध का दशक, कुल 2.87 करोड़ मामले : महिलाओं और दलितों पर सबसे ज्यादा असर

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भोपाल | मध्य प्रदेश में पिछले एक दशक 2015-2024 में अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और विभिन्न समाचार रिपोर्टों के आधार पर अनुमानित विश्लेषण के अनुसारए इस अवधि में राज्य में लगभग 2.87 करोड़ अपराध दर्ज हुए। प्रति लाख जनसंख्या 335 अपराध की दर के साथ मध्य प्रदेश देश में अपराध दर के मामले में शीर्ष राज्यों में शामिल रहा है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि महिलाओं और अनुसूचित जातियों एससी के खिलाफ अपराधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है | जो सामाजिक और कानूनी चुनौतियों को उजागर करती है। इसके अलावा 2022 में रेलवे अपराधों में 67% की वृद्धि ने राज्य की सार्वजनिक परिवहन सुरक्षा पर भी सवाल उठाए हैं।
जनसंख्या वृद्धि और अपराध दर
2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश की जनसंख्या 7.26 करोड़ थी, जो 1.9% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2021 तक 8.79 करोड़ और 2024 तक अनुमानित 9.33 करोड़ तक पहुंच गई। इस जनसंख्या वृद्धि के साथ अपराध दर भी बढ़ा है। 2015 में जहां कुल अपराध 2.62 लाख थे, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 3.12 लाख तक पहुंच गया। दशक भर में कुल 28.66 लाख अपराधों का यह अनुमान प्रति लाख 335 की औसत अपराध दर पर आधारित है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। यह राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध और बलात्कार के मामले चिंताजनक
मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध पिछले दशक में लगातार चर्चा में रहे हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के आधार पर 2013 से 2022 तक राज्य में 40,479 बलात्कार के मामले दर्ज हुएए जो औसतन 4,048 मामले प्रति वर्ष बनता है। 2015 से 2024 तक यह संख्या अनुमानित 40,480 तक पहुंचती है। 2022 में ही राज्य में महिलाओं के खिलाफ 32,765 अपराध दर्ज हुए , जो देश भर के इस तरह के मामलों का 50.2% हिस्सा है। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के साथ मिलकर एक गंभीर तस्वीर पेश करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
दलितों पर अत्याचार – सामाजिक तनाव का परिचायक
अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध में मध्य प्रदेश ने 2021 में देश में पहला स्थान हासिल किया, जहां प्रति लाख एससी जनसंख्या पर 60 से अधिक अपराध दर्ज हुए। यह राष्ट्रीय औसत (25 प्रति लाख), दोगुना से भी अधिक है। 2016 में 4,922 और 2020 में 7,214 मामले दर्ज हुए, जो दशक में लगभग 50,000 मामलों का अनुमान लगाते हैं। यह स्थिति राज्य में सामाजिक असमानता और तनाव को उजागर करती है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन मामलों में चार्जशीट दर भी अधिक रही, लेकिन दोषसिद्धि दर में कमी चिंता का विषय है।
रेलवे अपराध अप्रत्याशित चुनौती
2022 में मध्य प्रदेश में रेलवे से संबंधित अपराधों में 67% की वृद्धि दर्ज की गई, जिसके साथ राज्य देश में दूसरा सबसे प्रभावित राज्य बन गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह वृद्धि कोविड-19 के बाद की सामान्य स्थिति में लौटने के साथ जुड़ी हो सकती है। यह अप्रत्याशित आंकड़ा सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा की कमी को दर्शाता है और राज्य सरकार के लिए एक नई चुनौती पेश करता है।


अपराध के रुझान और पैटर्न
पिछले दशक में मध्य प्रदेश की अपराध दर में लगातार वृद्धि देखी गई। 2015 में जहां यह दर 300 प्रति लाख थी, वहीं 2021 तक यह 335 तक पहुंच गई। 2018-2019 में कुछ कमी देखी गई, लेकिन इसके बाद फिर से तेजी आई। शहरी क्षेत्रों में अपराध दर ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक रहा जो राष्ट्रीय रुझानों के अनुरूप है। विशेष रूप से महिलाओं और दलितों के खिलाफ अपराध सामाजिक.आर्थिक असमानताओं को प्रतिबिंबित करते हैं। इसके अलावा हिंसक अपराध जैसे हत्या और अपहरण में भी राज्य का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से ऊपर रहा।
चुनौतियां और सीमाएं
यह विश्लेषण एनसीआरबी की वार्षिक रिपोर्टों तक सीधे पहुंच के बिना तैयार किया गया है, जिसमें माध्यमिक स्रोतों जैसे समाचार लेख और इंडियास्टेट डेटा का उपयोग किया गया। अपराध दर को स्थिर मानकर गणना की गई, जो वास्तविक वार्षिक उतार.चढ़ाव को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं कर सकती। फिर भी यह डेटा मध्य प्रदेश में अपराध की स्थिति को समझने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
नीतिगत सुधार की जरूरत
मध्य प्रदेश में 2015 से 2024 तक के अपराध के आंकड़े राज्य में कानून व्यवस्था और सामाजिक ढांचे पर गंभीर सवाल उठाते हैं। 2.87 करोड़ अपराधों का यह अनुमान विशेष रूप से महिलाओं और दलितों के खिलाफ बढ़ते मामले नीतिगत हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है। रेल अपराधों की वृद्धि जैसे अप्रत्याशित पहलू भी सरकार के लिए नई प्राथमिकताएं तय करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस सुधार जागरूकता अभियान और सामाजिक समानता पर जोर देकर ही इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
जनसंख्या अनुमान और वृद्धि
अपराध दर की गणना के लिए Madhya Pradesh की जनसंख्या महत्वपूर्ण है, जो प्रति लाख (100,000) जनसंख्या में व्यक्त की जाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या 72,626,809 थी, और अनुमान है कि 2021 तक यह 87,950,000 और 2024 तक 93,300,000 तक पहुंच गई, जो 1.9% वार्षिक वृद्धि दर पर आधारित है। यह वृद्धि दर 2011 से 2021 तक की वृद्धि से गणना की गई, जो ((87,950,000 / 72,626,809)^(1/10) – 1) 100 ≈ 1.9% है। वर्ष-दर-वर्ष अनुमान इस प्रकार हैं :

2015: ~78,222,000

2016: ~79,800,000

2017: ~81,400,000

2018: ~83,000,000

2019: ~84,600,000

2020: ~86,200,000

2021: ~87,950,000

2022: ~89,700,000

2023: ~91,500,000

2024: ~93,300,000

ये आंकड़े अनुमानित हैं, क्योंकि 2011 के बाद के वर्षों के लिए सटीक जनगणना डेटा आसानी से उपलब्ध नहीं है |
कुल अपराध और अपराध दर
कुल अपराध की संख्या का अनुमान प्रति लाख जनसंख्या 335 अपराध की दर पर आधारित है, जो हाल के वर्षों के NCRB डेटा (उदाहरण के लिए, 2021 में 334.5 प्रति लाख, 2,94,222 IPC अपराध और जनसंख्या 87,950,000 से गणना की गई) के अनुरूप है। यह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जो MP में कानून और व्यवस्था की गंभीर समस्याओं को दर्शाता है। प्रत्येक वर्ष के लिए कुल अपराध की गणना इस प्रकार की गई: कुल अपराध = (जनसंख्या / 100,000)  अपराध दर उदाहरण के लिए, 2015 में : (78,222,000 / 100,000)  335 = 782.22 , 335 ≈ 262,045 अपराध। 2015 से 2024 तक सभी वर्षों के योग से लगभग 2,866,553 कुल अपराध निकले, जो अनुमानित हैं और वास्तविक NCRB आकड़ों से भिन्नता हो सकती है।

मध्य प्रदेश से अभिषेक कुमावत की रिपोर्ट

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