फाग गीतों के बीच खेली फूलों की होली…..

डा. करुणा पाण्डे की कृति होली के रंग कुमाऊँ के संग का लोकार्पण
लखनऊ। ढोलक की थाप और फगुआ की रसभरी गीतों की गूंज के साथ महिलाओं ने जमकर फूलों की होली खेली। गोमती नगर के विश्वास खण्ड में आयोजित होली संगीत कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डा. करुणा पाण्डे की कृति होली के रंग कुमाऊँ के संग का लोकार्पण भी किया गया। लोक संस्कृति शोध संस्थान और लखनऊ लिटरेरी क्लब के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित समारोह में वक्ताओं ने अपने विचार रखे और कृतिकार को बधाई दी।
पद्मश्री डा. विद्या विन्दु सिंह ने पारम्परिक फाग गीतों को लोक संस्कृति की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा कि होली का त्योहार लोक मन के उल्लास को मुखर अभिव्यक्ति देता है।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डा. पूर्णिमा पाण्डे, वरिष्ठ गायिका पद्मा गिडवानी, विमल पन्त, उमा त्रिगुणायत, विनीत सिन्हा, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की प्रधान सम्पादक डा. अमिता दुबे, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान की महामंत्री डा. सीमा गुप्ता, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव डा. सुधा द्विवेदी, डा. राधा बिष्ट आदि ने भी अपने विचार रखे। प्रेरणा पाण्डे ने आगंतुकों का अबीर गुलाल से स्वागत किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ रुपाली श्रीवास्तव ने गणेश वन्दना से की। देवताओं का आवाहन गीत सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन, हिमालय डाना लाल भयो, शिवशंकर खेलत हैं होरी, आज बिरज में होली रे रसिया, आयो नवल बसंत आदि गीतों की प्रस्तुति के साथ ही केसरी रंग डारो भिगावन गीत द्वारा सबको आशीर्वाद दिया गया। निर्मला पंत, अरुणा उपाध्याय, शारदा पाण्डेय, नीरा मिश्रा, ज्योति किरन रतन, डा.अंजू भारती, सरिता सिंह, नीना सिंह, अनामिका, अनीता गुप्ता, गीता चौधरी, डा. मंजू मेहरोत्रा, रीता अग्रवाल, पूनम कनवाल, कुमकुम मिश्रा, हेमलता त्रिपाठी, अर्चना गुप्ता, लक्ष्मी जोशी, किरन यादव, स्वरा त्रिपाठी, हरीतिमा पन्त, प्रो. सीमा सरकार आदि हुरियारों ने पारम्परिक होली गीत से माहौल को फागुनी बनाया। बीच बीच में महिलाओं ने मनमोहक नृत्य कर इसे सतरंगी स्वरुप दिया।
कार्यक्रम में सर्वश्री अनिल पाण्डे, चेतन बिष्ट, डा.एस.के.गोपाल, शशांक, ललित भट्ट सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।